आज बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक हो रही है। इस बैठक में रेपो रेट समेत कई अहम मुद्दों पर फैसला लिया जाएगा।
माना जा रहा है कि RBI इस बार भी EMI में राहत दे सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स की राय इस पर बंटी हुई है।
महंगाई घटने पर एक्सपर्ट्स की क्या है राय?
RBI ने महंगाई में नरमी का अनुमान लगाकर पहले ही ब्याज दरों में कटौती कर दी थी।
आने वाली दो तिमाहियों में महंगाई दर 4% के लक्ष्य से नीचे रह सकती है।
हालांकि, तीसरी तिमाही में महंगाई बढ़ने का खतरा है।
चौथी तिमाही तक महंगाई 4% के पार जा सकती है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
जब तक ग्रोथ को लेकर बड़ी चिंता नहीं होती, RBI नई रेट कटौती पर विचार नहीं करेगा।
अमेरिकी टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर RBI की नजर
RBI के सामने अमेरिकी टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर संभावित पेनाल्टी बड़ी चिंता है।
इसलिए RBI इन मुद्दों पर तस्वीर साफ होने तक कोई जल्दबाजी नहीं करेगा।
वहीं, पिछले रेट कट का पूरा असर अभी तक ब्याज दरों में देखने को नहीं मिला है।
रिजर्व बैंक इन कदमों का प्रभाव आने तक इंतजार करेगा।
RBI की Official Website का Link: https://www.rbi.org.in
अतुल मोंगा का बयान: RBI कर सकता है इंतजार
जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई थी।
CRR में 100 बेसिस पॉइंट्स की कमी भी सितंबर से लागू होगी।
अतुल मोंगा के मुताबिक, RBI ब्याज दरों को जस का तस रखने का फैसला कर सकता है।
पिछले फैसलों का असर देखने के बाद ही RBI आगे कोई कदम उठाएगा।
क्या अगस्त में ब्याज दर कटेगी? रिपोर्ट में क्या कहा गया ?
अगस्त में ब्याज दर में कटौती की संभावना कम है, क्योंकि जून की पॉलिसी गाइडेंस में यह संकेत दिया गया था।
हालांकि, RBI के पास 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं।
देश में उपभोग की रफ्तार धीमी है और अमेरिकी टैरिफ जैसी चुनौतियां ग्रोथ को प्रभावित कर सकती हैं।
RBI के लिए पॉलिसी सपोर्ट बनाए रखना जरूरी है ताकि ग्रोथ को मजबूती मिल सके।
RBI के लिए दोहरी चुनौती: ग्रोथ और महंगाई का संतुलन
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% रखा है।
हालांकि, घरेलू और वैश्विक स्तर पर बनी चुनौतियों के कारण यह लक्ष्य पाना आसान नहीं है।
इसी वजह से RBI के सामने ब्याज दरों में कटौती और ग्रोथ को संतुलित रखने की दोहरी चुनौती बनी हुई है।