अमेरिका में हुए शोध में पता चला
नई दिल्ली – अमेरिकी शोध कर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि समुद्र में तैरने से त्वचा माइक्रोबायोम में बदल जाती है, जिससे कान और त्वचा पर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी (American Society for Microbiology) के वार्षिक सम्मेलन ‘एएसएम माइक्रोब-2019’ में प्रस्तुत शोध निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया कि माइक्रोबायोम में बदलाव इंफेक्शन के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समुद्र के पानी के संपर्क में आने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल व श्वसन संबंधी बीमारी, कान में संक्रमण और त्वचा में संक्रमण हो सकता है।
अध्ययन के लिए नौ व्यक्तियों की जांच की गई, जिन्हें 12 घंटों तक स्नान नहीं करने दिया गया। इसके अलावा उन्हें सनस्क्रीन के उपयोग की मनाही की गई। साथ ही इस बात का ध्यान रखा गया कि उन्होंने पिछले छह महीनों के दौरान कोई एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न किया हो। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्रा मारिसा चैटमैन नील्सन ने कहा, “हमारे डेटा ने पहली बार प्रदर्शित किया कि समुद्र के पानी के संपर्क में मानव त्वचा की विविधता और संरचना में बदलाव हो सकता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य, स्थानीयकृत और प्रणालीगत रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”