सीहोर (मध्य प्रदेश): केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को वन विभाग के अधिकारियों को खुली चुनौती दे डाली। कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में जब आदिवासियों ने अपनी पीड़ा सुनाई, तो ‘मामा’ का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने सीधे भ्रष्टाचार पर निशाना साधा।
क्यों भड़के शिवराज?
- 200 गांवों का दर्द: सीहोर के 2 लाख आदिवासियों ने बताया कि वन विभाग 25-30 साल पुरानी कृषि भूमि को भी “अतिक्रमण” बता रहा है
- अभयारण्य का मुद्दा: आदिवासी सरदार वल्लभ भाई पटेल अभयारण्य को तुरंत रद्द करने की मांग कर रहे थे
- “गड़बड़-सड़बड़” का आरोप: शिवराज ने सीधे कहा – “ये लोग सरकार की छवि खराब कर रहे हैं!”
शिवराज की सीधी चेतावनी:
“मैं वन विभाग वालों से साफ कहता हूँ – गलती मत करो! ये किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!”
आदिवासियों को ‘मामा’ का आश्वासन:
- “मामा तुम्हारे साथ है, सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी”
- “हम आपके साथ खड़े हैं, अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा”
बड़ा सवाल:
- क्या वन विभाग के अधिकारी पुरानी कृषि भूमि को जानबूझकर अतिक्रमण बता रहे हैं?
- क्या सरदार पटेल अभयारण्य का मुद्दा आदिवासियों के हकों को दबा रहा है?
अगला कदम?
शिवराज ने कड़ी जांच के आदेश दिए हैं। अब देखना है कि क्या वाकई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, या फिर ये चेतावनी तक ही सीमित रहेगी।
क्यों है ये मामला महत्वपूर्ण?
✔ आदिवासियों के जीवनयापन पर सीधा प्रभाव
✔ वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल
✔ शिवराज का सीधा हस्तक्षेप राजनीतिक रूप से संवेदनशील