भगवान श्रीकृष्ण की आठ प्रमुख पटरानियां थीं, जिन्हें अष्टभार्य कहा जाता है। इनमें से तीन पटरानियों का मध्य प्रदेश से गहरा संबंध है, जो जन्माष्टमी 2025 को और भी खास बनाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इन पटरानियों और उनके मध्य प्रदेश से संबंधित कनेक्शन के बारे में।
रुक्मिणी – धार के अमझेरा से
रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण की प्रथम पत्नी थीं और उनका जन्म मध्य प्रदेश के धार जिले के अमझेरा से माना जाता है। रुक्मिणी को देवी लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। उनका यह क्षेत्र मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है।
जाम्बवती – रायसेन की जामगढ़ गुफा से
जाम्बवती का संबंध रायसेन जिले से है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने उनका विवाह किया था। रायसेन की जामगढ़ गुफा में जामवंत की पुत्री जाम्बवती रहती थीं। यह विवाह भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है। रायसेन जिले को भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल भी कहा जाता है।
मित्रविंदा – उज्जैन से रिश्ता
यह उज्जैन की राजकुमारी थीं। उज्जैन मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ से मित्रविंदा का श्रीकृष्ण से विवाह हुआ। यह क्षेत्र भगवान कृष्ण की महापुराणिक कहानियों का भी हिस्सा है।
अन्य पांच पटरानियां और उनका परिचय
श्रीकृष्ण की अन्य पांच पत्नियां हैं जिनका मध्य प्रदेश से कोई विशेष संबंध नहीं है। वे हैं:
- सत्यभामा – एक साहसी और वीरांगना पत्नी।
- कालिंदी – गंगा नदी की अवतार।
- नाग्नजिति (सत्या) – कौशल की राजकुमारी।
- भद्रा – विविध पुराणों में उल्लेखित।
- लक्ष्मणा – राजपरिवार से जुड़ी।
मध्य प्रदेश के लिए श्रीकृष्ण की पटरानियों का महत्व
श्रीकृष्ण की तीन पटरानियों का मध्य प्रदेश से जुड़ाव प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समृद्ध करता है।
रायसेन, धार और उज्जैन जैसे क्षेत्रों के साथ यह कनेक्शन प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है।
जन्माष्टमी के दौरान इन स्थानों पर विशेष धार्मिक कार्यक्रम होते हैं, जो पर्व की महत्ता को बढ़ाते हैं।
श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से तीन का मध्य प्रदेश से गहरा संबंध जन्माष्टमी 2025 को और भी यादगार बनाता है।
रुक्मिणी, जाम्बवती और मित्रविंदा की मध्य प्रदेश से जुड़ी कहानियां प्रदेश के धार्मिक उत्सवों में नए रंग भरती हैं।
रायसेन में जाम्बवती का विवाह और अन्य दो का संबंध मध्यप्रदेश को भगवान श्रीकृष्ण की महाकाव्य कथा से जोड़ता है।
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