केंद्र ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अगले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार होगा।
केंद्र ने यह बात प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कही, जो कश्मीर मुद्दे से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल (K.k Venugopal) ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को तुरंत ही कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए।
सरकार ने कहा कि जमीनी हालात की रोजाना समीक्षा की जा रही है।
न्यायालय ने कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन द्वारा दायर याचिका को भी देखा, जिसमें घाटी में पत्रकारों की आवाजाही पर प्रतिबंधों में और संचार माध्यमों पर लागू प्रतिबंधों में छूट देने की मांग की गई है।
सीजेआई ने कहा, “मैंने मीडिया रपट में पढ़ा है कि लैंडलाइन और ब्रॉडलाइन पर प्रतिबंध आज शाम तक हटा दिए जाने की संभावना है।”
महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने यह कहकर प्रतिवाद किया कि प्रतिबंधों में ढील दी गई है। कश्मीर टाइम्स अपना जम्मू संस्करण बिना किसी बाधा के प्रकाशित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि याचिका दुर्भावना से प्रेरित मालूम पड़ रही है।
घाटी में सुरक्षा स्थिति पर महाधिवक्ता तुषार मेहता ने वेणुगोपाल का साथ दिया।
मेहता ने कहा, “सुरक्षा एजेंसियां स्थिति का जायजा ले रही हैं और अदालत को अपनी एजेंसियों पर भरोसा करना चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए मामले को स्थगित कर दिया कि याचिकाएं तकनीकी आधार पर दोषपूर्ण हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं को प्रशासनिक पक्ष पर प्रधान न्यायाधीश के आदेश के बाद अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील एम. एल. शर्मा द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली त्रुटिपूर्ण याचिका दायर करने के लिए शुक्रवार को उन्हें कड़ी फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “आपकी यह याचिका सही नहीं है। मैंने इसे आधा घंटे तक पढ़ने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं पता चल सका।”
सीजेआई ने कश्मीरी अधिवक्ता शब्बीर शकील को भी इसी तरह दोषपूर्ण अर्जी दाखिल करने के लिए फटकार लगाई।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर पर दायर याचिकाओं में कोई न कोई कमी है।