बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल के खेतों में उगने वाला वाला फैमस मखाना अब हर जगह अपनी पहचान बना चुका है। इससे स्वास्थ्य का भी खजाना माना जाता है। राज्य में इस बार बारिश अधिक होने के कारण मखाने की फसल पर इसका असर देखने को मिल सकता है। देखा जाए तो पिछले साल की तुलना से इस साल मखाने की कीमतों में कमी आई है, लेकिन फिर भी किसानों को इससे अच्छा मुनाफा हो रहा है।
बता दें कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ने मखाने की बढ़ोतरी पर असर डाला है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलने की संभावना भी जताई जा रही है।
मखाने के दाम से किसानों को फायदा
पिछले साल मखाना के बीज (गुरिया) 32,000 से 40,000 रूपये प्रति क्विंटल तक बिका। वहीं, इस साल मंडियों में मखाना 23,000 से 28,000 रूपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। बता दें कि सहरसा, सुपौल, अररिया और पूर्णिया में दाम 23,000 से 25,000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि दरभंगा में 27,000 से 28,000 रुपये तक है। यह अंतर बीज की गुणवत्ता के कारण है।
अमेरिका के टैरिफ का असर
“MBA मखाना वाला” के संस्थापक श्रवण कुमार राय का कहना है कि अमेरिका में मखाना की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है, लेकर टैरिफ ने कारोबार को प्रभावित किया है। इसी कारण से मखाना विदेश में महंगा हो रहा है।
मखाना का मार्केट भाव
किसान मखाना को साइज के हिसाब से बेच रहे हैं।
• 3 सुता मखाना: 300 रूपये किलो
• 4 सुता मखाना: 615 रूपये किलो
• 5 सुता मखाना: 960 रूपये किलो
• 6 सुता मखाना: 1,270 रूपये किलो
मखाना की खेती में अधिक मुनाफा
खबरों की मानें तो 2012 में मखाना की खेती 13,000 हेक्टेयर में होती थी, जो अब बढ़कर 35,224 हेक्टेयर हो गई है। उत्पादकता भी 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। मखाना विकास योजना और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है।
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