स्वामी जी के अनुसार, साईं बाबा की पूजा वेदसम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि हजारों मूर्तियां पहले ही हटवाई जा चुकी हैं।
हालांकि, उनका ये बयान लोगों को चौंका रहा है। कुछ इसे धार्मिक कट्टरता कह रहे हैं।
मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण पर नाराज़गी
उन्होंने सरकार पर मंदिरों को नियंत्रण में रखने का आरोप लगाया। बोले कि पहले महाकाल मंदिर अखाड़े के पास था, अब सरकार ने छीन लिया है।
इसी बीच उन्होंने कहा कि मंदिरों की कमाई से कसाईखाने चलाना हिंदू भावनाओं का अपमान है।
मंदिरों में हिंदू कार्ड लागू करने की मांग
स्वामी जी चाहते हैं कि जब तक मंदिर सरकार के अधीन हैं, तब तक ‘हिंदू कार्ड’ लागू हो।
बिना हिंदू पहचान के किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं मिले।
दूसरी ओर, कुछ वर्ग इस विचार को धार्मिक भेदभाव मानते हैं।
दुकानों पर नाम बोर्ड लगाने का समर्थन
स्वामी प्रेमानंद ने यूपी सरकार की उस नीति का समर्थन किया जिसमें दुकानदारों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा में थूक जिहाद जैसे मामले रोकने के लिए ये सही कदम है।
पुजारियों से साईं बाबा की पूजा बंद करने की अपील
उन्होंने देशभर के पुजारियों से अपील की कि साईं बाबा की मूर्ति न लगाएं।
उन्होंने कहा कि यह सनातन परंपरा के खिलाफ है।
इसी तरह उन्होंने पंडितों से आग्रह किया कि वे मंदिरों में केवल वेदसम्मत पूजा पद्धति अपनाएं।