पटना – बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि 50 दिनों से दूसरे प्रदेशों में भूखे-प्यासे फंसे, हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर लाखों मुसीबत झेलकर अपने प्रदेश पहुंचे अप्रवासी बिहार वासियों के साथ बिहार सरकार का सलूक अमानवीय है।
तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के अनुसार स्टेशन से चली सुशासनी बस क्वारंटाइन सेंटर पहुंचाने की बजाय देर अंधेरी रात अप्रवासी मज़दूरों को सड़कों पर छोड़ देती है। बिहार सरकार की नई स्कीम है। अपना भाड़ा देकर, ट्रेन से आओ, भूखे मरो, बस में बैठाओ, बीच रास्ते उतारो, फिर पैदल घर जाओ।
प्रतिदिन तक़रीबन हर ज़िले से ऐसी खबरें, वीडियो सामने आ रहे हैं जो सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं। स्टेशन से बसों में आ रहे अप्रवासियों के साथ कोई मजिस्ट्रेट और अधिकारी भी नहीं रहता।
उन्होंने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है बिहार सरकार का नया नारा है, “क्वारेंटाइन गया कोरोना लाने।” असंवेदनशीलता की कोई तो सीमा होती होगी? क्या बिहार सरकार द्वारा अप्रवासी मज़दूरों के साथ जो सलूक किया जा रहा है वह माफ़ी के लायक है? क्या अप्रवासी मज़दूरों की स्क्रीनिंग और उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर नहीं भेज बिहार सरकार संक्रमण को न्यौता नहीं दे रही