बच्चे को 9-10 साल की उम्र से माता-पिता से मानसिक सपॉर्ट की जरूरत होती है।
दरअसल, इस उम्र में बच्चे समाज को समझने की शुरुआत में होते हैं। कई बार उन्हें अलग-अलग स्थितियों से डील करने में दिक्कत होती है। हो सकता है कि कभी सिर्फ टीचर की डांट, किसी दोस्त के बात ना करने से भी वह दो हफ्ते तक उदास रहे। यह भी हो सकता है कि डांटने के दौरान आपके द्वारा बोली गई कोई छोटी सी बात उसके मन में घर कर गई हो। ऐसे में इस उम्र के बच्चों के साथ प्यार और अपनेपन के साथ बात करें।
आपको कोशिश करनी चाहिए कि थोड़ा वक्त निकालकर ही सही अपने टीनेजर बच्चे से हर रोज बात करें। उसके साथ थोड़ा वक्त गुजारें। ताकि वो खुद को अलग-थलक और अकेला ना महसूस करे। उससे पूछें कि पूरा दिन क्या किया, स्कूल-ट्यूशन कैसे रहे। कुछ रोचक और प्रेरक प्रसंग उन्हें बताएं। अगर आपने खुद ऐसा कुछ नहीं पढ़ा है तो बच्चों के लिए पढ़ें।
इससे बच्चों और आपके बीच बॉन्ड मजबूत होने में मदद मिलेगी।
टीनेजर बच्चों में हॉर्मोनल चेंजेज बहुत तेजी से हो रहे होते हैं। ऐसे में छोटी सी बात से मूड उखड़ जाना, छोटी सी बात पर बहुत खुश हो जाना जैसी चीजें बच्चों के साथ होती रहती हैं। लेकिन अगर आपका बच्चा बहुत दिनों से उदास है तो उससे जरूर बात करें। अगर आपसे वह कुछ शेयर ना करे तो उसके दोस्तों से उसकी परेशानी का कारण जानने की कोशिश करें। ऐसा ना हो सके तो बच्चे को लेकर सायकाइट्रिस्ट या न्यूरॉलजिस्ट के पास जरूर पहुंचे। ताकि बच्चा किसी भी मानसिक बीमारी का शिकार होने से बचा रहे। माता-पिता अक्सर सुसाइड केसेज के बारे में पढ़कर और सुनकर डर जाते हैं और अपने बच्चों पर अधिक नजर रखने लगते हैं। जबकि उन्हें ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं होती, जरूरत है बच्चों के बीच सकारात्मकता पैदा करने की।