
Kawad Yatra: सावन का महीना हिन्दुओं के लिए भगवान शिव की भक्ति और आस्था से जुड़ा होता है। कावड़ यात्रा भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है, लेकिन यह सावन का महीना कुछ लोगों के लिए रोजी–रोटी की चिंता का विषय बन जाता है। दरअसल, देश के उत्तरी राज्यों में इस साल सरकार ने कावड़ रूट पर मौजूद सभी डाबा, होटल और दुकानों के मालिकों को QR code और खाद्य सुरक्षा के लिए लाइसेंस लगाने का ऐलान किया है।
सरकार के इस फैसले से कई मुस्लिम डाबा और मालिक, कर्मचारियों को परेशानी हो रही है। इस लाइसेंस में मालिक का नाम, पता और फोन नंबर जैसी पूरी जानकारी देना जरूरी है, ताकि कावड यात्रियों की आस्था से कोई खिलवाड़ न कर पाएं। इसी कारण से मुस्लिम मालिकों ने अपना ढाबा, होटल बंद कर दिए हैं।
कावड़ यात्रा में बंद हुए कई डाबा और होटल
ऐसे में मुजफ्फरनगर से गुजरने वाले हाईवे पर कांवड़ियों के प्रमुख मार्गों में से एक है। इस हाईवे पर ऐसे बहुत से डाबा, होटल हैं जो इस समय बंद नजर आ रहे हैं।
सरकार ने कावड़ यात्रा आरंभ होने से पहले ही मांसाहारी ढाबों को निर्देश दे दिए थे कि इन्हें कावड़ यात्रा के दौरान डाबा, होटल बंद करना होगा।
वहीं, इस रूट पर ऐसे भी कुछ ढाबे हैं, जो हिन्दू–मुस्लिम दोनों पार्टनरशिप पर चलाते हैं। वह इन दिनों में एक दम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय चलते हैं।
मुस्लिम ढाबों को झेलनी पड़ती है कई परेशानियां
खबरों की मानें इन रूटों पर साल के बाकी महीनों में उनका काम बिना किसी रूकावट के चलता है, लेकिन सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान मुस्लिम ढाबों का कार्य में काफी रुकावट आती है, जिस कारण से उनको काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
बजरंग दल करते हैं ढाबे को चेक
कावड़ यात्रा आरंभ होते ही हिंदुत्ववादी संगठन जैसे बजरंग दल के लोग ढाबे पर आकर चेक करते हैं, इसी कारण से कोई विवाद न हो इसलिए यूसुफ जैसे और भी ढाबे हैं, जो खुद ही कुछ दिनों के लिए दूरी बना लेते हैं।
देखा जाए तो इन मामलों के चलते पहले दो घटनाओं में हिंसा भी हुई है, जिसमें एक ढाबे पर तोड़फोड़ हुई है और दूसरे में मुस्लिम कर्मचारी की पहचान छुपाने के वजह से मारपीट हुई।