उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में दोपहर में बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। खीरगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने गांव को मलबे और पानी के सैलाब में डुबोकर रख दिया है। पलक झपकते ही इलाके के मकान, बाजार और होटल तहस-नहस हो गए है। अब तक 4 लोगों की मौत की खबर सामने आई है, जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। NDRF, SDRF और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
बादल फटने का क्या है कारण ?
बदल फटना मतलब कम समय में छोटे क्षेत्रों में भारी बारिश का होना है। मौसम विभाग के मुताबिक, यदि 20 से 30 वर्ग किमी में एक घंटे में 100 मिलीलीटर से अधिक बारिश हो, तो फिर इसको क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है। यह बारिश की तीव्रता इतनी अधिक होती है, जिसके कारण बाढ़ भूस्खलन जैसी आपदाएं आने की संभावना बन जाती है।
पहाड़ों में क्यों होती हैं आखिर यह घटना ?
भौगोलिक संरचना:
पहाड़ों में ऊंचाई के वजह से नमी से बदल फंस जाते हैं जिसके कारण बारिश भी तेज हो जाती है। यह घटनाएं ज्यादातर 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर होती हैं।
क्यूम्यलोनिम्बस बादल:
यह बदल जब घने हो जाते हैं,तब इसमें भरी मात्रा में पानी जमा हो जाता हैं। जिसके कारण यह अचानक बरस पड़ता है।
मानसून का भारी प्रभाव:
जून से सितंबर के बीच मानसून के कारण से नमी से भरे बदल हिमालय की तरफ बढ़ जाते हैं। जहां बदल रोकते हैं, इसी कारण से बादल फटने की घटना बढ़ जाती है।
जलवायु परिवर्तन:
ग्लोबल वार्मिंग और मौसम के बदलाव के कारण से उत्तराखंड और हिमाचल में बादल फटने की घटनाएं अब अधिक बढ़ गई हैं।
उत्तरकाशी में घटना की वजह:
धराली गांव के पास खीरगंगा नदी में बादल फटने से तेज सैलाब आया है। मलबे और पानी ने 34 सेकेंड में गांव को बर्बाद कर के रख दिया है। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक ,ग्लेशियरों का पिघलना और नालों का ढाल इस तरह की तबाही को और बढ़ाता है।
बादल फटने पर बचाव के उपाय
- मौसम विभाग के अलर्ट पर अधिक ध्यान दें।
- घटना वाले इलाकों में यात्रा से बचें ।
- भारी बारिश हो तो ऊंचे और सेफ जगह पर जाए।
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