विगत वर्ष तथा इस वर्ष सामान्य आर्थिक मंदी तथा कोविड-19 के कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियांे पर विपरीत असर पड़ा है, किन्तु मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रयासों से छत्तीसगढ़ में आर्थिक गतिविधियों को बल मिला है एवं इन गतिविधियों से पूरे देश को लाभ पहुंच रहा है।
केन्द्र सरकार ने विगत दिवस अगस्त 2020 में केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों के जी.एस.टी. एवं सुसंगत करों के संग्रहण के आंकडे़ जारी किये हैं।
इन करों में सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और सीईएसएस मुख्य घटक हैं। माह अगस्त 2020 के उपरोक्त राजस्व संग्रहण से माह अगस्त 2019 की तुलना करने पर देश में 5 राज्य ऐसे हैं, जहां अगस्त माह में कुल जीएसटी संबंधी राजस्व संग्रहण में वृद्धि हुई है । यह राज्य क्रमशः नागालैण्ड में 17 प्रतिशत, उत्तराखण्ड में 7 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 6 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 2 प्रतिशत एवं राजस्थान में एक प्रतिशत है, शेष सभी राज्यों में राजस्व संग्रहण में कमी हुई है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बताया है कि जीएसटी संबंधी उक्त राजस्व संग्रहण में 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आईजीएसटी, सीईएसएस तथा सीजीएसटी का है। सीजीएसटी केन्द्र के खजाने में जाती है, आईजीएसटी केन्द्र तथा उपयोगकर्ता राज्यों के मध्य वितरित होती है और सीईएसएस से सभी राज्यों के जीएसटी संग्रहण में कमी पर क्षतिपूर्ति की जाती है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अगस्त 2020 की अवधि में पिछले अगस्त की तुलना में एसजीएसटी की प्राप्ति में लगभग 10 प्रतिशत की कमी रही है।
फिर भी राज्य की आर्थिक नीतियां जैसे समय पर औद्योगिक वाणिज्यिक गतिविधियां प्रारंभ करना, राजीव गांधी न्याय योजना, गोधन न्याय योजना और लघु वनोपज के समर्थन मूल्य पर क्रय के माध्यम से प्रदेश ने कठिन परिस्थितियों में भी आर्थिक गतिविधियों को जारी रखा गया है। इसका परिणाम यह है कि छत्तीसगढ़ में एकत्रित होने वाले आईजीएसटी तथा सीईएसएस से देश के अन्य राज्यों को भी राशि प्राप्ति का लाभ होगा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बताया कि जीएसटी की संरचना के कारण छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्य को राजस्व की हानि होती है और अधिक जनसंख्या वाले उपयोगकर्ता राज्यांे को छत्तीसगढ़ में होने वाले उत्पादक गतिविधियों से संग्रहित राजस्व की प्राप्ति होती है। श्री भूपेश बघेल ने इस दृष्टि से केन्द्र सरकार से पुनः अपील की है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि केन्द्र शासन द्वारा ऋण/अपने संसाधनों के जरिये ही राज्य को प्रदाय की जावे और इसका ऋणभार राज्य पर न डाला जावे।