ताजे अध्ययन में खुलासा हुआ है
कि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर ही मजबूत होती हैं और उनका शरीर भी उन प्रतिकूल परिस्थितियों का मुकाबला कर सकता है जिनका सामना पुरुष कर सकते हैं।
अन्टार्टिक पहुंची महिलाओं की एक टीम पर किए गए स्टडी में पता चला कि उनके शरीर ने भी कठिन परिस्थितियों का सामना वैसे ही किया जैसै एक पुरुष का शरीर करता है।
यह रिसर्च ग्लासगो में सोसायटी ऑफ एंडोक्राइनॉलजी के वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत की गई।
इसके अनुसार अगर महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाए तो विकट परिस्थितियों में उनका शरीर भी उतना ही सक्षम होता है जितना कि एक पुरुष का। बता दें कि इस स्टडी के तहत 6 अमेरिकी सैनिकों ने जनवरी में अन्टार्टिक की यात्रा की थी।
इस टीम में सिर्फ महिलाएं थीं। इन महिलाओं ने यह यात्रा 62 दिन में पूरी की।
इसकी मुश्किलों का अंदाजा आप इस बात से लगता सकते हैं कि इस दौरान उन्होंने 80 किलो सामान के साथ तेज हवाओं और कम तापमान में 1056 मील की ट्रेकिंग की। इस बेहद कठिन यात्रा के शुरु होने से पहले टीम की हर महिला को कड़ी ट्रेनिंग दी गई थी।
डॉक्टर्स ने उनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया था। यात्रा खत्म होने के बाद जब फिर से उनका परिक्षण किया तो पाया गया कि महिलाओं का ‘स्त्री’ स्वास्थ्य और हड्डियां पहले की तरह ही थीं। यानी कि महिलाओं को शरीर ने यात्रा के दौरान प्रतिकूल परिस्थिति पर वैसी ही प्रतिक्रिया दी जैसी कि एक पुरुष का शरीर देता।
इस यात्रा पर गईं मेजर टेलर ने बताया कि मानसिक रूप से उन लोगों ने काफी अच्छे से परिस्थितियों का सामना किया। उनकी हड्डियां भी मजबूत थीं। हारमोन का लेवल थोड़ा कम हुआ था लेकिन कुछ ही दिनों में वह सामान्य हो गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्होंने और उनकी साथियों ने फैट कम किया लेकिन उनकी मांस-पेशियां मजबूत बनी रहीं।
इस स्टडी को लीड करने वाले डॉ। रॉबर्ट ग्लिफर्ड का कहना है कि इस रिसर्च के परिणामों से कई मिथक टूट रहे हैं। सदियों से यह हम यह मानते आए हैं कि महिलाएं शारीरिक रूप से पुरुषों से कमजोर होती हैं, लेकिन अब यह मिथ्या धारणा साबित हो रही है।