भारत के प्रधानमंत्री अक्सर अपनी भावुकता के कारण ट्रोल किए जाते है। जिस जगह वो जाते है उस जगह से रिश्ता
बनाना और जिन लोगों से वो मिलते है मानो सभी बचपन के साथी ही रहते हो उनके। ये गुण काफ़ी हद तक उन्हें
सफलता तो पहुँचता है पर बहुत बार इसका मज़ाक़ भी बनाया जाता है।
ठीक ऐसा ही इस बार हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया के सामने
कहा की अमेरिका में हुए ट्रम्प समर्थकों के हमले से मारे गए लोगों की ख़बर सुनकर बहुत दुखी है
जबकि ठीक इसी समय भारत में किसान आंदोलन में 60 से ज़्यादा लोग
मारे जा चुके है इस पर पीएम मोदी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
इस बात पर उनका मज़ाक़ बनाया जाना और उन पर
तंज कसना उनके विपक्ष और विरोधियों द्वारा तो लाज़मी ही था।
भारत के प्रधानमंत्री को भारत के बाहर की बहुत चिंता होती है
भारत में हो रही घटनाओं को अनदेखा कर भारत के बाहर
की घटनाओं में अक्सर बात करते नज़र आते श्री मोदी भूल जाते है की
उनके व्यक्तित्व पर इस बात का क्या प्रभाव पड़ेगा।
श्री मोदी अपना इमोशनल इंटेलिजेंट वाला ट्रम्प कार्ड फेंकना कभी
भूलते नहीं है पर बहुत बार कार्ड ग़लत टाइम पर फ़ेक
देते है जिस से उनको विपक्ष और मीडिया ताने मारने से पीछे नहीं हटता।
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भारत की तात्कालिक स्थिति को ध्यान में रख कर फ़िलहाल
श्री मोदी को कार्यरत होना चाहिए।
50 हज़ार से ज़्यादा ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में मार्च कर रहे है उसका हल निकालना होगा किसानो के अन्दर बढ़ते
ग़ुस्से को भाँपना एक देश के राजा का राजधर्म होता है उसे किसी
भी क़ीमत पर अनदेखा नहीं किया जा सकता।
यही स्थिति अगर 26 जनवरी तक रही तो राष्ट्रीय त्योहार के दिन भी इस तरह
का आंदोलन विश्व के लिए एक शर्मनाक संदेश होगा।
किसानो को अनदेखा करने वाली हर सरकार को अगले चुनाव में बुरा परिणाम ही मिला है।
वैसे अभी 2024 के केंद्र के चुनावों में काफ़ी वक़्त है
शायद इसीलिए हमारे भावुक पीएम शांति से अमेरिका का दुःख व्यक्त कर रहे है।