नई दिल्ली। देश में टोल टैक्स प्रणाली को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार एक नई टोल पॉलिसी पर काम कर रही है, जिसके तहत एक्सप्रेसवे और हाईवे पर वाहन चालकों से उतनी ही दूरी का टोल वसूला जाएगा, जितनी दूरी उन्होंने तय की है। इसका मतलब है कि अगर आपने पूरे रूट की बजाय केवल कुछ किलोमीटर का सफर किया है, तो आपको उतने ही किलोमीटर का टोल टैक्स देना होगा।
फिलहाल कैसे लगता है टोल टैक्स?
वर्तमान में नेशनल हाईवे फी रूल्स के तहत टोल टैक्स वसूला जाता है। इस व्यवस्था के अनुसार, एक रोड प्रोजेक्ट की कुल लंबाई के आधार पर टोल निर्धारित होता है, जो सामान्यतः 60 किलोमीटर तक हो सकता है। चाहे कोई व्यक्ति इस मार्ग पर कुछ किलोमीटर ही क्यों न चला हो, उसे पूरी लंबाई के लिए तय टोल देना पड़ता है।

क्या है नई व्यवस्था में खास?
ईटी इन्फ्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी ने बताया है कि सरकार टोल पर किलोमीटर के आधार पर वसूली की व्यवस्था पर काम कर रही है। इस प्रणाली में चालक जितनी दूरी सफर करेगा, उतना ही टोल देगा। फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन मंत्रालय स्तर पर इस नीति को लागू करने की तैयारी चल रही है।
कंपनियों को रेवेन्यू की भरपाई सरकार करेगी
अभी तक हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने वाली कंपनियों को कंसेशन एग्रीमेंट के तहत टोल वसूली की अनुमति होती है, जिससे वे अपनी लागत और मुनाफा निकालती हैं। प्रस्तावित नई नीति के तहत ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि सरकार सीधे इन कंपनियों को उनकी आय की भरपाई कर दे, ताकि चालकों से पूरी लंबाई के आधार पर टोल ना लिया जाए और आम जनता को राहत मिले।
उद्देश्य: पारदर्शिता और सुविधा
सरकार का मकसद इस नई व्यवस्था के जरिए टोल प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाना है। अगर यह नीति लागू होती है तो यह करोड़ों वाहन चालकों के लिए राहत की खबर होगी। हालांकि अभी तक आधिकारिक घोषणा का इंतजार है।
निष्कर्ष
नई टोल पॉलिसी, अगर लागू होती है, तो यह देश में परिवहन व्यवस्था के एक अहम पहलू में आमूलचूल परिवर्तन लाएगी। इससे न केवल यात्रियों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि लंबी दूरी तय करने वालों और रोज़ाना कम दूरी के सफर करने वालों के बीच की असमानता भी दूर हो सकेगी।