इन दिनों ज्यादातर देशोंकी अर्थव्यवस्था सुस्त है. ऐसे में विदेशों में नौकरी कर रहे भारतीयों की नौकरियों परखतरे की तलवार लटक रही है।खासकर अमेरिका औरब्रिटेन जैसे देश भारतीयों को कामदेने से कतरारहे हैं। वहीं जापान सरकार भारतीय युवाओं को नौकरी के लिए आमंत्रित कर रही है। वह भी थोड़े-बहुत नहीं,बल्कि लगभग 3 लाख युवाओं को जापान में काम दियाजाएगा। भारत औरजापान सरकार केबीच इस आशयके सहमति पत्रपर हस्ताक्षर होचुके हैं।
आखिर क्या है इसकी वजह?
दरअसल जापान के साथहमारे देश नेअक्टूबर में एकसहमति पत्र परदस्तखत किए। इसीके तहत भारतीयऑन-जॉब ट्रेनिंगके लिए जापानजा सकते हैं।मेमोरेंडम की बड़ीवजह जापान मेंउम्र की समस्याभी है। दरअसलजापान में स्वस्थजीवनशैली और हेल्थसुविधाओं के कारणबड़ी आबादी उम्रदराजलोगों की है।जापान में युवाओंकी जनसंख्या कमहै, जिसकी वजहसे वहां तकनीकीकामगारों की भारीकमी है। ऐसेमें वहां कीसरकार ने दूसरेदेशों के युवाओंके लिए दरवाजाखोल दिया है।चूंकि भारत औरजापान के राजनैतिकसंबंध अच्छे हैंइसलिए भारतीयों केलिए ये मौकाऔर बड़ा साबितहो सकता है।
जापान में वैसे तो तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है
लेकिन एग्रीकल्चर, नर्सिंग, होटल, शिप-बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी भारतीयों के लिए मौका है। इसके लिए मेमोरेंडम साइन हो चुका है। साथ ही लगभग पौने 7 करोड़ की स्किल डेवलपमेंट स्कीम को भी भारत सरकार की मंजूरी मिल चुकी है, इसके तहत भारतीय बेरोजगार युवाओं को स्किल डेवलपमेंट के लिए विदेशों में भेजा जा सकता है। इसके अलावा जापान में बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी भारतीय युवाओं को मौका मिल सकता है। इन सभी कामों के लिए जापानी भाषा की समझ होना जरूरी है, जिसके लिए या तो ट्रेनिंग दी जाएगी या फिर पहले से जापानी भाषा जानने वालों को प्राथमिकता मिलेगी।
जापान के अलावायूरोपीय देशों में भी भारत को ह्यूमनरिसोर्स कैपिटल की तरहदेखा जा रहा है और नौकरी के अवसर मिलरहे हैं। इनमेंस्वीडन भी एकदेश है, जहां अपने लोगों केबाहर जाने की वजह से भारतीय युवाओं को बुलायाजा रहा है। हाल ही में जापान ने भारत के अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलिपींस के साथ करार किया है। इस के तहत ‘स्पेशल स्किल’वाले युवाओं को वीजा में कईतरह की छूट मिलेगी।