नई दिल्ली: supreme court ने आज बिहार विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे ‘विशेष गहन bihar voter list संशोधन’ पर गंभीर सवाल उठाए।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि “प्रक्रिया में नहीं, बल्कि इसके समय पर आपत्ति है”, क्योंकि सूची से हटाए जाने वाले मतदाताओं के पास चुनाव से पहले अपील करने का पर्याप्त समय नहीं होगा।
मुख्य मुद्दे:
समय पर आपत्ति: चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले संशोधन का विरोध
मताधिकार पर खतरा: हटाए गए मतदाताओं को न्यायिक सुधार का अवसर नहीं मिलेगा
पहचान पत्र विवाद: सरकारी आईडी (आधार) को अस्वीकार करने का निर्णय विवादित

कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां:
- “एक बार अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती”
- “संशोधन से वंचित होने वाले मतदाताओं के पास चुनाव से पहले कानूनी उपाय नहीं बचेंगे”
- “यह मुद्दा लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा है” याचिकाकर्ताओं के तर्क:
वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने रखे प्रमुख बिंदु:
🔹 2003 के बाद पहली बार हो रहा है ऐसा संशोधन (जनसंख्या 4 करोड़ → 7.9 करोड़)
🔹 केवल 11 विशिष्ट दस्तावेजों को ही मान्यता
🔹 विडंबना: चुनाव आयोग अपने ही जारी किए वोटर आईडी कार्ड को नहीं मान रहा
🔹 न्यायपालिका सदस्यों सहित कुछ वर्गों को विशेष छूट आगे की कार्रवाई:
▪️ चुनाव आयोग को कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए
▪️ अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार
▪️ राजनीतिक दलों ने भी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं