आप सब लोगों ने दुनिया के 7 अजूबों के बारे में सुना व पढ़ा होगा, लेकिन आज हम आपको आठवां अजूबा के बारे में बताएंगे, जो कई तरह की चुनौतियों का सामने करने के बाद भी 1000 सालों से मजबूती के साथ अपनी प्रतिष्ठा को कायम रखा हुआ है। दरअसल, जिस आठवें अजूबे के बारे में बात कर रहे हैं, वह बृहदीश्वर मंदिर है, जिसे चोल वंश द्वारा बनवाया गया है।
बता दें कि इस प्राचीन मंदिर की खासियत यह है कि इसकी वास्तुकला और मंदिर का टिकाऊपन को लेकर वियानिक भी नहीं समझ पा रहें हैं।
कहां पर बना है बृहदीश्वर मंदिर ?
यह अद्भूद मंदिर तमिलनाडु में स्थित है, जो अपनी बेहतरीन बनावट और मजबूती के कारण दुनियाभर में काफी चर्चा का विषय बन चुका है। भारत का यह एक ऐसा मंदिर है, जिसे लोग दुनियाभर से देखने के लिए आते हैं और इसे दुनिया का आठवां अजूबा बताते हैं।
यह मंदिर हजारों साल पुराना है। इसे 10वीं सदी में चोल वंश के राजा ने इस मंदिर को बनवाया था। यह मंदिर करीब 60 मीटर ऊंचा है, जिसके कारण यह भारत के ऊंचे मंदिरों में से एक माना जाता है। वही, इस मंदिर की शिखर करीब 80,000 किलो के भारी पत्थरों से बना है, जिसे उस समय में बिना आधुनिक तकनीक के बिना इतनी ऊंचाई तक ले जाना वैज्ञानिकों के लिए एक अजूबा से कम नहीं है। आज भी इसके अंदर का रहस्य छुपा है।
चमत्कार से कम नहीं है यह मंदिर
इस मंदिर में न सीमेंट है न मेटल जोइंट्स हैं, बल्कि पत्थरों को इस तरह से जोड़ा गया है कि यह बिना नींव के सपाट मैदान पर खड़ा है। फिर भी, पिछले 1000 सालों में 8 बड़े भूकंप झेलने के बाद भी इसमें एक भी दरार नहीं आई है और यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
वैयानिक भी हैरान
यह मंदिर ग्रेफाइट जैसे सख्त पत्थरों से बना है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि यह 60 किमी के दायरे में ऐसी कोई भी चट्टान नहीं मिलती। वैज्ञानिक आज तक यह समझ नहीं पाए कि इतने भारी पत्थरों को इतनी दूरी से कैसे लाए गए थे।
आस्था और भक्ति का संगम
बृहदीश्वर मंदिर न केवल वास्तुशिल्प का चमत्कार है, बल्कि शिवभक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र भी है। वैज्ञानिक और आर्किटेक्ट इसकी भूकंप-रोधी तकनीक और टिकाऊपन का रहस्य जानने के लिए बार-बार यहां आते हैं, लेकिन इसका पूरा रहस्य आज भी अनसुलझा हुआ है।
भारतीय इंजीनियरिंग की मिसाल
यह मंदिर प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। बिना किसी चिपकाने वाली सामग्री के दीवारें और खंभे इस तरह जुड़े हैं कि यह आज भी उतना ही मजबूत है, जितना बनने के समय में था। बृहदीश्वर मंदिर न सिर्फ भारत की शान है, बल्कि पूरी दुनिया में इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर का एक अनोखा नमूना भी है।
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