दिल्ली में प्रदूषण से राहत पाने के लिए सरकार ने कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का ट्रायल किया गया था, लेकिन यह प्रक्रिया असफल रही। कई घंटे बीत जाने के बाद भी राजस्थान में बारिश नहीं हुई। जिसके बाद IIT कानपुर की रिपोर्ट में बताया गया है कि मौसम की इस प्रकिया के अनुकूल नहीं थी।
वैज्ञानिकों की सलाह
मौसम वैज्ञानिक डॉ. अक्षय देओरास के मुताबिक, क्लाउड सीडिंग तभी सफल हो सकती है जब बादलों में नमी और ऊर्ध्वाधर विकास हो। बताया जा रहा है कि दिल्ली (NCR) ke आसमान में नमी बहुत कम है। जिस वजह से उनका यह भी कहना है कि यह प्रकिया साफ आसमान से बारिश नहीं करा सकते। सर्दियों में यह प्रयोग तभी शुरू करना चाहिए जब विक्षोभ के कारण वर्षा वाले बादल मौजूद हों।
IIT कानपुर रिपोर्ट क्या कहती है
रिपोर्ट के अनुसार, मौसम पूरी तरह से अनुकूल नहीं होने के कारण से दो बार क्लाउड सीडिंग की गई थी।
- बता दें कि, पहली उड़ान दुपहर 12:13 बजे कानपुर से भरी गई और मेरठ में 2:30 बजे उतरी है।
- दूसरी उड़ान 3:45 बजे मेरठ से उड़ी और 4:45 बजे वापस आई है।

कितनी हुई बारिश और क्या असर पड़ा
दअरसल, रिपोर्ट के मुताबिक, 0.1 मिमी की बूंदाबांदी दर्ज की गई है, बता दें कि बारिश का असर लगभग न के बराबर रहा है। हालांकि, हवा में ज्यादा नमी के कारण PM2.5 में 6–10% और PM10 में 14–21% की कमी देखी गई। जिसमे वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कमी बारिश से नहीं बल्कि नमी के कारण प्रदूषक कणों के नीचे बैठने से हुई है।
भविष्य के लिए लाभदायक
दरअसल, IIT कानपुर का कहना है कि अगली बार क्लाउड सीडिंग तभी की जानी चाहिए जब वातावरण में नमी 60% से ज्यादा हो और वर्षा वाले बादल विकसित अवस्था में हों। मिट्टी के नमूनों में किसी हानिकारक रसायन का असर नहीं मिला।
ट्रायल पर क्या सवाल
क्लाउड सीडिंग पर AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने इस ट्रायल पर सवाल उठाते हुए कहा कि “बारिश का नामोनिशान नहीं दिखा, सरकार ने बस दिखावा किया है।”
कितना आया खर्चा
दिल्ली सरकार ने कुल 3.21 करोड़ रुपये की लागत से पाँच ट्रायल की मंज़ूरी दी है। यह पहला बड़ा प्रयास था, लेकिन मौसम की खराबी और कम नमी की वजह से सफलता नहीं मिली।



