Delhi Pollution: दिल्ली की जहरीली हवा के लिए अब तक पराली जलाना सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा था, लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है।
बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार (2024 अक्टूबर-नवंबर) में पराली के धुएँ का योगदान सिर्फ 5% से भी कम रहा था। कुछ दिन तो 0% था और सबसे ज्यादा 12-13 नवंबर को भी केवल 22% तक पहुँचा। फिर भी दिल्ली का AQI लगभग पूरे दो महीने बेहद खराब से गंभीर स्तर पर बना रहा।
हवा इतनी जहरीली क्यों
बता दें कि CSE की रिसर्चर अनुमिता रॉयचौधरी का कहना है कि, सर्दियों में हवा नीचे बैठ जाती है। जिस वजह से सुबह 7 से 10 बजे और शाम 6 से 9 बजे ट्रैफिक सबसे ज्यादा होता है। इसी समय गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ फंस जाता है और जहरीला कॉकटेल बन जाता है।
दरअसल, रिपोर्ट में साफ है कि दिल्ली के 22 में से ज्यादातर मोनिटरिंग स्टेशनों पर कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) की मात्रा लगातार लिमिट से ज्यादा रही है। सबसे खराब हालत जहाँगीरपुरी की है, जहाँ सालाना PM2.5 का औसत 119 माइक्रोग्राम तक पहुँच गया है। जिनमें ये भी हैं, बवाना, आनंद विहार, विवेक विहार, अलीपुर भी बहुत प्रदूषित हैं।

CSE ने दिए सुझाव
- पुरानी डीजल-पेट्रोल गाड़ियाँ को जल्दी से स्क्रैप करें।
- इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ और बस-मेट्रो बढ़ाएँ।
- साइकिल और पैदल चलने के रास्ते बनाएँ जाएं।
- पार्किंग महँगी करें, साथ ही कंजेशन चार्ज भी लगाएँ।
- फैक्ट्रियों में कोयला बंद करें।
- कचरा जलाना पूरी तरह रोकें।
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