5 अगस्त 2025 को पृथ्वी का दिन अब तक का सबसे छोटा दिन बनने वाला है। इस दिन पृथ्वी अपनी पूरी घुमाव पूरी तरह से 24 घंटे से थोड़ा कम समय में पूरा करेगी। पृथ्वी सामान्यतः 86,400 सेकंड में एक बार घूमती है, लेकिन इस दिन यह अपनी धुरी पर कुछ मिलीसेकंड तेज़ी से घूमेगी। यह समय अंतर बहुत ही सूक्ष्म है, पर इसे वैज्ञानिक बड़ी उपलब्धि मानते हैं।
5 अगस्त 2025 को पृथ्वी के तेज़ घूमने के कारण
हमारा ग्रह हमेशा एक जैसी गति से नहीं घूमता। इसके घूमने की रफ्तार में कभी-कभी छोटे बदलाव होते रहते हैं।
यह बदलाव पृथ्वी के अंदरूनी हिस्सों में हो रही घटनाओं के कारण होते हैं।
जैसे पृथ्वी के पिघले हुए कोर या फिर पृथ्वी की सतह, महासागर और वायुमंडल में होने वाले बदलाव।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गहराईयों में कुछ ऐसा हो रहा है जिससे पृथ्वी की गति तेज़ हो रही है।
यह बदलाव पहले की भविष्यवाणियों के उलट है क्योंकि कुछ समय पहले माना जा रहा था कि पृथ्वी की गति धीमी होगी।
पर अभी की जानकारी के अनुसार पृथ्वी ने अपनी गति बढ़ा ली है ।
और ऐसा मुख्य रूप से पृथ्वी के अंदर की प्रक्रियाओं के कारण हो रहा है।
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पृथ्वी के सबसे छोटे दिन का प्रभाव
वैसे तो इतनी छोटी वृद्धि का सीधे तौर पर हमारे रोजमर्रा के जीवन पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा।
लेकिन यह बदलाव वैज्ञानिकों के लिए खास महत्व रखता है।
इसके कारण कुछ तकनीकी उपकरणों जैसे समय मापन यंत्र और उपग्रह प्रणाली पर असर पड़ सकता है।
वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ इन बदलावों को समझ कर भविष्य में उनसे निपटने के लिए तैयारियां कर रहे हैं।
5 अगस्त 2025 को पृथ्वी का दिन सबसे छोटा होगा, जिससे यह एक नया रिकॉर्ड बनेगा।
यह घटना पृथ्वी के अंदरूनी बदलावों का संकेत है जिसमें ग्रह की गति में अनपेक्षित रूप से वृद्धि हुई है।
हालांकि इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं पड़ेगा, यह हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी एक जीवंत ग्रह है जो हमेशा बदल रहा है।
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