भारत की दो शतरंज महारथियों में फाइनल टक्कर
FIDE महिला वर्ल्ड कप 2025 इस बार भारत के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसके फाइनल में दो भारतीय दिग्गज आमने-सामने हैं – अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी और युवा चेस चैंपियन दिव्या देशमुख। यह मुकाबला न सिर्फ भारत की जीत तय करता है, बल्कि यह महिला शक्ति और प्रतिभा का प्रतीक भी बन गया है।
कोनेरू हम्पी: भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर
आंध्र प्रदेश में जन्मी कोनेरू हम्पी महज 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनीं। उनके पिता उनके पहले कोच रहे, और उनकी मेहनत और मानसिक शक्ति ने उन्हें एक विश्वस्तरीय खिलाड़ी बना दिया।
- 2003 में अर्जुन पुरस्कार
- 2007 में पद्मश्री सम्मान
- 2019 में FIDE महिला ग्रां प्री विजेता
- 2024 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल विजेता
हम्पी ने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है, जुनून और समर्पण से हर लक्ष्य पाया जा सकता है।
दिव्या देशमुख: नई पीढ़ी की शतरंज स्टार
नागपुर की रहने वाली दिव्या देशमुख ने 8 साल की उम्र में विश्व चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
- 2014 में U-10 वर्ल्ड चैंपियन
- 2023 एशियन वुमन चेस चैंपियन
- 2024 वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज
- वर्तमान में तीन वर्ल्ड टाइटल उनके नाम
दिव्या ने दिखा दिया कि उम्र मायने नहीं रखती, आत्मविश्वास और रणनीति से जीत संभव है।
भारत को मिलेगी नई Chess Queen
FIDE वर्ल्ड कप का यह फाइनल भारत के लिए ऐतिहासिक है। जीत किसी की भी हो, दोनों खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया है कि जब महिलाओं को मौका और मार्गदर्शन मिले, तो वे FIDE जैसे वैश्विक मंचों पर देश का नाम रोशन कर सकती
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