हाल ही में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली।
यहां की रहने वाली सुनीता चौहान नामक महिला ने दो सगे भाइयों – प्रदीप नेगी और कपिल नेगी – से शादी रचाई।
शादी की रस्में 12 जुलाई से शुरू होकर तीन दिन तक चलीं। एक भाई सरकारी नौकरी में है, जबकि दूसरा विदेश में काम करता है।
बहुपतित्व परंपरा का हिस्सा है यह विवाह
इस विवाह ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया बल्कि सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर भी काफी सुर्खियां बटोरीं।
हालांकि, इस शादी के पीछे हाटी जनजाति की बहुपतित्व (Polyandry) परंपरा है, जिसमें एक महिला कई पुरुषों से विवाह कर सकती है।
यह परंपरा खासकर सिरमौर और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में सदियों से प्रचलित है।
इसे क्या कहते हैं स्थानीय लोग ?
स्थानीय भाषा में इस प्रकार की शादी को ‘जजदा’ या ‘जोड़िदारा’ कहा जाता है।
परंपरा के अनुसार, एक महिला अक्सर दो या तीन भाइयों से विवाह करती है ताकि परिवार की संपत्ति एक ही जगह बनी रहे और बंटवारा न हो।
यही कारण है कि यह प्रथा अब भी कुछ क्षेत्रों में सामाजिक रूप से मान्य है।
https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1560/2/H1955-25.pdf
क्या यह विवाह कानूनन वैध है ?
भारतीय कानून के अनुसार, एक महिला का एक से अधिक पुरुषों से विवाह करना अवैध है।
इसलिए, इस तरह की शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिलती।
हालांकि, यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा के तहत निभाई जाती है, और आमतौर पर समुदाय के भीतर स्वीकार्य मानी जाती है।
इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया है कि सिर्फ धार्मिक परंपरा के आधार पर अवैध चीजें कानूनी नहीं मानी जा सकतीं।
क्यों है यह UPSC जैसे एग्जाम में अहम ?
इस तरह की प्रथाएं भारत की विविध संस्कृति को दर्शाती हैं।
इसलिए UPSC, SSC या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं।
इसके अलावा, यह सामाजिक विमर्श, लैंगिक समानता और कानून जैसे विषयों से भी जुड़ता है।
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