चीन के तिआनजिन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक हुई। इसकी अहम जानकारी भारत के विदेश सचिव बिक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।
बैठक में दोनों नेताओं ने जताई सहमति
बैठक में पीएम मोदी ने साफ कहा कि भारत और चीन के संबंधों की प्रगति के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहुत जरूरी है, जिसमें दोनों देश के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए और यह दोनों देशों के लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा।
साझेदारी और सहयोग
दरअसल बैठक में इस बात पर काफी जोर दिया गया कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धी नहीं है बल्कि साझेदार है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सहयोग को मज़बूत करने के लिए 4 सुझाव दिया है, जिन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सकारात्म पक्रिया दी।
विकास पर हुई चर्चा
दोनों देशों के नेताओं ने आपसी विकास के लिए व्यापार संतुलन और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और लोगों के बीच संपर्क बढ़ने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही सहमति जताई कि भारत और चीन दोनों मिलकर अब बहुध्रुवीय एशिया के निर्माण की दिशा में काम करेंगे।
वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी हुई चर्चा
बैठक के दौरान वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने और विश्व व्यापार को स्थिर करने में भारत और चीन की बड़ी भूमिका को मान्यता दी।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में किया आमंत्रित
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। इसके अलावा, सीमा विवाद का आपसी स्वीकार्य समाधान खोजने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
दोनों देशों के रिश्तों के बीच एक नई दिशा
पीएम मोदी की यह विदेश यात्रा भारत के पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को एक नई दिशा और उन्हें मजबूती देने के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
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