ISS से आई शुभांशु शुक्ला की पहली HD फोटो, भारत में खुशी की लहर
अंतरिक्ष से आई एक मुस्कुराती तस्वीर ने पूरे भारत को गर्व से भर दिया है।
लखनऊ के 39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला इस वक्त इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर हैं। उनकी पहली HD फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
शुभांशु Axiom Space के कमर्शियल मिशन Axiom-4 का हिस्सा हैं। यह मिशन भारत के लिए एक नई उपलब्धि है।
मुस्कुराहट के पीछे वैज्ञानिक ज़िम्मेदारी
शनिवार को शुभांशु और उनकी टीम का आराम का दिन था।
इसके बाद उन्होंने दोबारा वैज्ञानिक प्रयोगों पर काम शुरू किया।
इस बार उनका फोकस था अंतरिक्ष में हड्डियों पर पड़ने वाले असर और रेडिएशन मॉनिटरिंग पर।
जीरो ग्रैविटी में हड्डियां कैसे कमजोर होती हैं, यह जानना ज़रूरी है।
रिसर्च का असली मकसद
इस रिसर्च में वैज्ञानिक हड्डी बनने, सूजन और ग्रोथ से जुड़े संकेतों का विश्लेषण कर रहे हैं।
इसके अलावा, वे एक “डिजिटल ट्विन” भी बना रहे हैं।
डिजिटल ट्विन यानी एक वर्चुअल मॉडल। यह दिखाता है कि अंतरिक्ष में हड्डियां कैसे रिएक्ट करती हैं।
क्यों है ये रिसर्च ख़ास?
Axiom Space का मानना है कि यह तकनीक अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाएगी।
दूसरी ओर, पृथ्वी पर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के इलाज में भी मदद करेगी।
इससे हजारों लोगों को फायदा मिल सकता है।
टीम में शुभांशु की अहम भूमिका
इस मिशन की कमान अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के पास है।
वहीं, हंगरी के टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोस वेसनिव्स्की स्पेशलिस्ट हैं।
शुभांशु इस मिशन के पायलट हैं। उनका कॉल साइन “Shux” है। यह उनके लिए गर्व की बात है।
एल्गी से लेकर रेडिएशन तक की रिसर्च
शुभांशु ने ‘स्पेस माइक्रो एल्गी’ के तहत एल्गी के सैंपल लगाए।
इससे पता चलेगा कि माइक्रोएल्गी अंतरिक्ष में कैसे बढ़ती है।
इसके अलावा, उन्होंने रेडिएशन मॉनिटरिंग पर भी काम किया। इसका मकसद भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को और सुरक्षित बनाना है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणाभारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह एक नया अध्याय है।
आखिर, एक युवा वैज्ञानिक लखनऊ से निकलकर ISS तक पहुंचा है।
उनकी मुस्कुराहट लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही है।
इसलिए, यह सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं, बल्कि उम्मीद की किरण भी है।