आगर मालवा, मध्य प्रदेश – सोमवार को जिला अदालत परिसर में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। अदालत में पेश हुआ एक व्यक्ति आधे शरीर पर साड़ी और चूड़ियां पहने था, तो आधे पर पैंट-शर्ट। माथे पर आधी बिंदी और चेहरे पर एक अनोखा आत्मविश्वास। यह व्यक्ति था मनोज बामनिया, जो अपने ढाई साल के बेटे के अपहरण के मामले में आरोपी था — और तीन महीने से फरार चल रहा था।
मनोज ने अर्धनारीश्वर के रूप में आत्मसमर्पण कर न सिर्फ पुलिस को चौंकाया, बल्कि अदालत में मौजूद हर शख्स को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने कहा, “मां ही नहीं, पिता में भी ममता होती है।”
कोर्ट में किया अजीबोगरीब सरेंडर
फैशन डिजाइनर मनोज बामनिया पर आरोप है कि उसने 16 मार्च को अपने बेटे भव्यांश का अपहरण कर लिया था। उस वक्त भव्यांश उसकी मौसी रोशनी के साथ मंदिर जा रहा था, तभी एक बोलेरो गाड़ी में सवार कुछ लोगों ने बच्चे को जबरन उठाकर ले गए।
पुलिस ने मनोज की तलाश में टीमें तैनात की थीं और उस पर ₹10,000 का इनाम भी घोषित कर दिया गया था। लेकिन सोमवार को अचानक वह खुद कोर्ट पहुंचा, वो भी देव-देवी के मिलन का प्रतीक — अर्धनारीश्वर के वेश में।
आधा पुरुष, आधा स्त्री – गहरी थी अभिव्यक्ति
मनोज के इस रूप की पीछे एक संदेश था। उसने आधे शरीर पर पुरुषों के कपड़े — पैंट और शर्ट, तो दूसरी ओर साड़ी, चूड़ियां और बिंदी लगाकर समाज को यह जताने की कोशिश की कि एक पिता की भावनाएं भी किसी मां से कम नहीं होतीं।
उसने कहा, “मैंने यह रूप इसलिए धारण किया, ताकि दुनिया को बता सकूं कि पिता भी अपने बच्चे से उतना ही प्रेम करता है, जितना मां। मुझे समाज को यह बताना था कि एक पिता भी अपने बच्चे के लिए तड़प सकता है।”
अपहरण के बाद मुंबई, सूरत और इंदौर में छिपा रहा
मनोज ने खुलासा किया कि अपहरण के बाद वह अपने बेटे को लेकर देश के तीन बड़े शहरों – इंदौर, सूरत और मुंबई में छिपा रहा। वह पेशे से फैशन डिजाइनर है, इसलिए विभिन्न शहरों में रहना उसके लिए आसान था।
हालांकि, आखिरकार वह कानून के सामने पेश हुआ। फिलहाल पुलिस ने उसे रिमांड पर ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
पत्नी से विवाद, कोर्ट ने मां को दी थी बच्चे की कस्टडी
जानकारी के अनुसार, मनोज और उसकी पत्नी रीना के बीच बीते दो सालों से मतभेद चल रहे हैं। रीना ने उस पर दहेज प्रताड़ना का आरोप भी लगाया था, जिस पर कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी थी।
समाज को दिया एक विचित्र लेकिन गूढ़ संदेश
मनोज का यह सरेंडर तरीका जितना अजीब था, उतना ही भावनात्मक और प्रतीकात्मक भी। वह यह संदेश देना चाहता था कि समाज सिर्फ मां को ही ममता का प्रतीक न माने, पिता भी उतना ही संवेदनशील और अपने बच्चे के लिए समर्पित हो सकता है।