रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4–5 दिसंबर को दो दिवसीय दौरे पर भारत आएंगे। ऐसे में लगभग 4 साल के बाद देश में पुतिन की यात्रा है, जो भारत–रूस रिश्तों के लिहाज़ से बेहद अहम होगी। नई दिल्ली में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करेंगे और 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
भारत यात्रा से पहले बड़ा बयान
बता दें कि मॉस्को में रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक VTB की कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने कहा है कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने भारत जाएंगे, जहां पर वह व्यापार, आयात और आर्थिक सहयोग को लेकर विस्तृत चर्चा करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि रूस अपनी “स्वतंत्र आर्थिक नीति” पर काम करता रहेगा और अपने हितों को प्राथमिकता देगा। पुतिन ने कहा कि पिछले तीन सालों में भारत और चीन के साथ रूस के व्यापार में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
यूरोप और पश्चिम पर निशाना
भारत आने से पहले पुतिन का बयान अंतरराष्ट्रीय हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि अगर यूरोप युद्ध चाहता है, तो रूस अब पूरी तरह तैयार है। वही, पुतिन ने कहा कि यूरोपीय देशों के पास अब किसी तरह की शांति योजना नहीं होगी, बल्कि वह खुद संघर्ष को बढ़ावा दे रहे हैं।
VTB फोरम में पुतिन ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाते हुआ कहा कि वे दुनिया में अपना एकाधिकार कायम रखने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं, लेकिन वह इसमें नाकाम साबित हो रहे हैं और आगे भी नाकाम रहेंगे।

S-500 पर नज़र, सुदर्शन चक्र जैसी सुरक्षा ढाल
खबरों के मुताबिक, पुतिन के भारत दौरे के दौरान रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम भी संभव है। भारत ने रूस से 5 S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था, जिनमें से अब तक तीन भारत को मिल चुके हैं। अब चर्चा S-500 सिस्टम पर होने की संभावना जताई जा रही है, जिसे दुनिया के सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में से एक गिना जाता है।
अगर S-500 पर समझौता आगे बढ़ा, तो प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में बताए “2035 तक अभेद्य हवाई सुरक्षा कवच” के लक्ष्य को बड़ी मजबूती मिल सकती है।
RELOS समझौता- गेमचेंजर कदम
भारत में पुतिन के दौरे से पहले रूस की संसद RELOS समझौता मंज़ूर की तैयारी में है। यह ऐसा समझौता है, जिसमें भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे की सैन्य सुविधाएं है। जैसे ईंधन, मरम्मत या बेस का इस्तेमाल कर सकेंगी। ऐसे में यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का “गेमचेंजर” साबित होगा।
ये भी पढ़ें : ‘संचार साथी’ ऐप पर सियासी संग्राम, जासूसी आरोपों के बीच ऐपल ने बनाई दूरी, कहा-हम ऐसा App नहीं जोड़ेंगे



