सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना बिना चेतावनी के लापरवाही मानी जाएगी। हाईवे तेज रफ्तार के लिए बनाए जाते हैं। ऐसे में ड्राइवर की जिम्मेदारी बनती है कि वह पीछे आने वाले वाहनों को समय रहते संकेत दे।
इमरजेंसी में भी सावधानी जरूरी
अगर किसी इमरजेंसी या गाड़ी की खराबी के कारण वाहन रोकना जरूरी हो, तब भी संकेत देना जरूरी है।
कोर्ट ने कहा – “ड्राइवर की पहली जिम्मेदारी है कि वह दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखे।”
कोयंबटूर हादसे से जुड़ा मामला
यह फैसला एक 2017 के मामले में आया। तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुए हादसे में एक युवक का पैर कट गया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि हादसे की शुरुआत कार के अचानक रुकने से हुई थी।
जिम्मेदारी तीन हिस्सों में बांटी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस हादसे में सभी पक्ष कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। लेकिन लापरवाही की शुरुआत कार ड्राइवर से हुई। कोर्ट ने जिम्मेदारी ऐसे बांटी:
- कार ड्राइवर – 50%
- बस ऑपरेटर – 30%
- बाइक सवार (हकीम) – 20%
हाईवे पर ब्रेक के लिए देना होगा संकेत
कोर्ट ने दोहराया कि हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना गंभीर खतरा बन सकता है।
शोल्डर या स्पीड ब्रेकर की जानकारी हर हाईवे पर नहीं होती।
इसलिए ड्राइवर की सतर्कता और बढ़ जाती है।
यह फैसला सभी ड्राइवरों को सावधानी और जिम्मेदारी से गाड़ी चलाने की सीख देता है।
यह भी पढ़ें: भोपाल-इंदौर में बिना हेलमेट अब पेट्रोल नहीं! 1 अगस्त से लागू होगा नया नियम