आवारा कुत्तों के दिन पर दिन बढ़ते कहर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अगर कोई भी इस मामले में हिस्सा लेना चाहता है, तो फिर वे चाहे NGO हो या डॉग लवर। उन सभी को कोर्ट की रजिस्ट्री में रकम जमा करनी होगी, जिसमें डॉग लवर को 25 हजार रूपये और गैर सरकारी संगठनों (NGO) को 2 लाख रूपये 7 दिनों में जमा करने होंगे। अगर कोर्ट के आदेश को नहीं मानना, तो उन्हें इस मामले की सुनवाई में शामिल होने का अधिकार नहीं मिलेगा।
कोर्ट ने की धनराशि जमा
सुप्रीम कोर्ट ने स्ट्रीट डॉग के लिए जो धनराशि जमा कराई थी। वे धनराशि का उपयोग आवारा कुत्तों के लिए बेहतर सुविधाएं तैयार करने के लिए किया जाएगा। कोर्ट ने ये भी कहा, यह फैसला केवल अदालती लड़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सही तौर से समाधान खोजना भी जरूरी है।
कोर्ट के आदेश से डॉग लवर को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में बदलाव करते हुए दिल्ली (NCR) ही नहीं बल्कि, पूरे देश में स्ट्रीट डॉग लिए नए नियम लागू किए है। वे नए नियम है कि अब नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसके इलाके में छोड़ दिया जाएगा, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक रहेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसके लिए नागर निगम को हर वार्ड में फीडिंग ज़ोन बनाने का आदेश दिया गया है।
कुछ प्रमुख बातें
कोर्ट ने यह भी कहा कि रेबीज के लक्षण या फिर या आक्रामक, बीमार कुत्तों को क्वारंटीन या आश्रय गृहों में रखा जाएगा। इसके साथ ही लोगों को आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, लेकिन यह उनकी जिम्मेदारी होगी कि कुत्ते को वापस सड़क पर न आए।
राष्ट्रीय नीति की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पूरे देश तक विस्तारित करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया। साथ ही, आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए हाई कोर्ट्स में लंबित सभी समान मामलों को अपने अधीन कर लिया।
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