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Home»एजुकेशन»अब 3 से 11 साल तक के बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में: CBSE की नई गाइडलाइन आई
एजुकेशन

अब 3 से 11 साल तक के बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में: CBSE की नई गाइडलाइन आई

swati vaishnavBy swati vaishnavMay 25, 2025No Comments3 Mins Read

CBSE यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बच्चों की शुरुआती पढ़ाई को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब 3 से 11 साल के बच्चों यानी प्री-प्राइमरी से लेकर 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई उनकी मातृभाषा, घरेलू भाषा या क्षेत्रीय भाषा में कराई जाएगी।

क्या कहा गया है नई गाइडलाइन में?

CBSE ने 22 मई को एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि:

  • प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 2 तक की पढ़ाई को “फाउंडेशनल स्टेज” कहा जाएगा और इस दौरान पढ़ाई मातृभाषा या घर की भाषा में कराना अनिवार्य होगा।
  • कक्षा 3 से 5 तक भी बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने की सलाह दी गई है, लेकिन इस दौरान स्कूल चाहें तो भाषा बदल भी सकते हैं।
  • सभी स्कूलों को कहा गया है कि वे जल्द से जल्द बच्चों की मातृभाषा का पता लगाएं और उसी के अनुसार पढ़ाई की व्यवस्था करें।
  • यह नई व्यवस्था जुलाई 2025 से लागू हो सकती है।

इस फैसले की वजह क्या है?

CBSE का यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (NCFSE 2023) के आधार पर लिया गया है। इन दोनों में यह साफ कहा गया है कि बच्चे 8 साल की उम्र तक जो भी चीज़ें सबसे जल्दी और अच्छी तरह समझते हैं, वो अपनी घर की भाषा में ही समझते हैं।

बच्चों के लिए मातृभाषा में पढ़ाई क्यों जरूरी?

CBSE का मानना है कि जब बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते हैं, तो वे चीजों को जल्दी समझते हैं, ज्यादा सवाल पूछते हैं और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
छोटे बच्चों के लिए कोई नई भाषा सीखना भी एक अलग मेहनत होती है। अगर शुरुआत में ही उन्हें एक अनजानी भाषा में पढ़ाया जाए, तो वे डर जाते हैं या पढ़ाई में पीछे छूट सकते हैं।

स्कूलों को क्या करना होगा?

CBSE ने सभी स्कूलों से कहा है कि वे मई 2025 तक एक “NCF Implementation Committee” यानी एक समिति बनाएं। यह समिति:

  • बच्चों की मातृभाषा पता लगाएगी।
  • स्कूल में भाषा के अनुसार पढ़ाने की योजना तैयार करेगी।
  • टीचर्स को जरूरत के अनुसार ट्रेनिंग देगी।
  • पढ़ाई के लिए भाषा से जुड़ा जरूरी सामान (जैसे किताबें) भी तैयार कराएगी।

कुछ चुनौतियाँ भी हैं

इस फैसले से कई फायदे होंगे, लेकिन कुछ परेशानियाँ भी आ सकती हैं:

  • भारत में कई राज्यों में लोग कई भाषाएं बोलते हैं। ऐसे में स्कूलों के लिए हर बच्चे को उसकी भाषा में पढ़ाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
  • सभी भाषाओं में किताबें और टीचर्स मिलना भी आसान नहीं है।
  • कुछ स्कूल अंग्रेजी माध्यम के हैं, जहां इस फैसले को अपनाना चुनौती भरा हो सकता है।

लेकिन उम्मीदें भी बड़ी हैं

इन चुनौतियों के बावजूद, अगर स्कूल सही तरीके से इसे अपनाएं तो बच्चों को बहुत फायदा होगा:

  • वे ज़्यादा अच्छे से समझ पाएंगे।
  • आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • जो बच्चे पहले भाषा की वजह से पीछे रह जाते थे, वे भी अब खुलकर सीख पाएंगे।

निष्कर्ष

CBSE का यह फैसला बच्चों की भलाई के लिए लिया गया है। पढ़ाई अगर उनकी अपनी भाषा में होगी, तो वे चीज़ों को ज़्यादा अच्छे से समझेंगे और स्कूल जाने में उन्हें मज़ा आएगा।
यह सिर्फ भाषा बदलने का फैसला नहीं है, बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य की ओर एक कदम है।

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CBSE Guideline Education REform NEP2020 Primary Education शिक्षा_नीति
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swati vaishnav

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