वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) अदलपुरा ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक नई पहल की शुरूआत की है। दरअसल, संस्थान ने यूरोग्रीन क्रॉप साइंसेज, वाराणसी के साथ समझौता किया है, जिसके तहत कंपनी को लोबिया की काशी निधि और भिंडी की काशी सहिष्णु किस्मों का व्यावसायिक बीज उत्पादन को लेकर मंजूरी दे दी है।
इस महत्वूपर्ण समझौते पर संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में कंपनी के निदेशक ए.के. मिश्रा और पी.के. सिंह ने हस्ताक्षर किए। यह कार्यक्रम एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर और जोनल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट यूनिट के बैनर तले आयोजित हुआ।
किसानों को मिलेगी उन्नत किस्में
IIVR के निदेशक डॉ. कुमार ने जानकारी दी कि अब तक किसानों के लाभ के लिए करीब 27 सब्जी फसलों में 129 से अधिक उन्नत किस्में विकसित कर चुका है। उन्होंने कहा कि उन्नत किस्मों को किसानों तक तेजी से पहुंचाने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी जरूरी है, ताकि वह किसानों को शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराएं।
इस किस्म की खेती करने से किसानों को अधिक उत्पादकता प्राप्त होगी। इससे लगभग 20-25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। यह किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में लंबे समय तक फल देती है, जिससे किसान लंबे समय तक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बीज उत्पादन का नया हब
इस समझौते से बीज उत्पादन का उत्तर प्रदेश में नया हब बन जाएगा। वाराणसी तेजी से एक उभरते सब्जी बीज हब के रूप में स्थापित है। इससे पहले भी IIVR कई निजी कंपनियों को ‘काशी ब्रांड’ की किस्मों के लिए लाइसेंस दे चुका है।
इस कदम से किसानों को उन्नत किस्मों के बीज आसानी से मिलेंगे। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी। बल्कि टिकाऊ और सुरक्षित सब्जी उत्पादन तकनीकों को भी बढ़ावा मिलेगा।
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